🚩 रामदेव जी (रामापीर) – राजस्थान के लोकदेवता
राजस्थान की धरती पर अनेक संत और लोकदेवता हुए हैं, जिनमें रामदेव जी (रामापीर) का स्थान सर्वोपरि है। वे गरीबों और दलितों के उद्धारक, न्यायप्रिय शासक और समाज सुधारक माने जाते हैं।
📜 जन्म और परिवार
- जन्म वर्ष: संवत् 1409 (1352 ई.)
- जन्म स्थान: रूणिचा, जिला बाड़मेर
- पिता: अजमल जी (तंवर वंशी राजा)
- माता: मीनादेवी/मेणादेवी
- लोकमान्यता है कि वे भगवान विष्णु के अवतार थे।
🕉️ जीवन दर्शन
रामदेव जी ने भक्ति, सेवा और भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने छुआछूत और जात-पात का विरोध किया और हर व्यक्ति को समान बताया।
✨ प्रमुख चमत्कार
- बीमारों और अपंगों को स्वस्थ करना।
- भूखों को भोजन कराना।
- समुद्र पर घोड़े दौड़ाना।
- गरीबों और शोषितों की रक्षा करना।
🌍 समाधि स्थल – रूणिचा धाम
संवत् 1442 (1385 ई.) में रामदेव जी ने जीवित समाधि ली। उनका समाधि स्थल रूणिचा धाम (बाड़मेर) है। यहाँ प्रतिवर्ष रामदेवरा मेला भाद्रपद शुक्ल पक्ष में 15 दिन तक लगता है।
🛕 आराधना
- हिंदू और मुस्लिम दोनों श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं।
- उनका घोड़ा "लीला घोड़ा" विशेष रूप से पूजनीय है।
- “रामापीर की फड़” और भजन गाँव-गाँव गाए जाते हैं।
- तेरहताली नृत्य-संगीत रामदेव देव जी संबंधित है|
📌 मुख्य तथ्य
- जन्म – रूणिचा, बाड़मेर
- लोकनाम – रामापीर
- जात-पात का विरोध
- समाधि स्थल – रूणिचा धाम
- प्रमुख मेला – रामदेवरा
- समाधि – संवत् 1442
- कामड जाति का इनसे संबंध है
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. रामदेव जी का जन्म कहाँ हुआ था?
👉 राजस्थान के बाड़मेर जिले के रूणिचा गाँव में।
Q2. रामदेवरा मेला कब लगता है?
👉 भाद्रपद शुक्ल पक्ष में प्रतिवर्ष 15 दिन तक।
Q3. रामदेव जी को रामापीर क्यों कहा जाता है?
👉 उनकी अलौकिक शक्तियों और समाज सेवा के कारण।
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