बांसवाड़ा: राजस्थान का सौ द्वीपों वाला झीलों का नगर - Rajasthan Study

बांसवाड़ा: राजस्थान का सौ द्वीपों वाला झीलों का नगर

 

🌄 बांसवाड़ा: राजस्थान का सौ द्वीपों वाला झीलों का नगर

राजस्थान को रेगिस्तान, किले और महलों के लिए जाना जाता है, लेकिन जब बात हरियाली, जलस्रोतों और आदिवासी संस्कृति की हो, तो एक नाम सबसे आगे आता है – बांसवाड़ा
इसे “सिटी ऑफ हंड्रेड आइलैंड्स” और “झीलों का नगर” कहा जाता है, क्योंकि यहाँ सैकड़ों झीलों और उनमें बसे द्वीपों की भरमार है।

बांसवाड़ा न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक धरोहर, जल परियोजनाएं, जनजातीय समाज और योजनाएँ इसे एक विशेष पहचान देती हैं।


📍 भौगोलिक स्थिति

बांसवाड़ा, राजस्थान के दक्षिणी छोर पर स्थित है। इसकी सीमाएं इस प्रकार हैं:

  • उत्तर – उदयपुर

  • पश्चिम – डूंगरपुर

  • पूर्व – प्रतापगढ़

  • दक्षिण – मध्यप्रदेश की सीमा

यह स्थान अरावली पर्वतमाला और माही नदी के बीच बसा हुआ है।


🌊 जलस्रोत व परियोजनाएँ

1️⃣ माही नदी – जीवनरेखा

  • सबसे बड़ी नदी, जो जिले को हरियाली और उर्वरता देती है।

2️⃣ माही बाँध (माही बजाज सागर परियोजना)

  • सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए

  • लगभग 80,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई

  • बांसवाड़ा की आर्थिक रीढ़

3️⃣ कदाना बाँध

  • माही नदी पर बना

  • राजस्थान और गुजरात – दोनों राज्यों को लाभ

4️⃣ अनास बाँध

  • कृषि और पेयजल के लिए महत्त्वपूर्ण

5️⃣ अन्य बाँध और तालाब

  • चाचा कोटला बाँध, पडमलिया बाँध, करंजा बाँध, और कुशलबाग तालाब – स्थानीय सिंचाई और ऐतिहासिक महत्व


⛰️ पहाड़ियाँ व झीलें

  • अरावली की छोटी पहाड़ियाँ – हरियाली और वन्य जीवन से भरपूर

  • सैकड़ों झीलें और तालाब – जिनमें बसे द्वीपों के कारण ही इसे "सिटी ऑफ हंड्रेड आइलैंड्स" कहा जाता है


🏯 किले और महल

  1. बांसवाड़ा राजमहल – ऐतिहासिक धरोहर, शाही स्थापत्य का प्रतीक

  2. गरासिया महल – आदिवासी संस्कृति और इतिहास से जुड़ा स्थल


🛕 प्रमुख धार्मिक स्थल

  • त्रिपुरा सुंदरी माता मंदिर – शक्तिपीठ, लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र

  • अर्थुना मंदिर समूह – प्राचीन शिव और जैन मंदिर

  • बंडीनाथ मंदिर – सोम नदी के तट पर स्थित

  • राजमंदिर – बांसवाड़ा नगर के मध्य


🌾 कृषि व मिट्टी

  • मुख्य फसलें – मक्का, गेहूँ, सोयाबीन, कपास, अरहर

  • मिट्टी

    • काली मिट्टी (रेगुर) – कपास व सोयाबीन के लिए उपयुक्त

    • लाल व बलुई मिट्टी – कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है

  • माही परियोजना ने कृषि को आधुनिक रूप दिया


⛏️ खनिज व खनन

बांसवाड़ा खनिजों की दृष्टि से भी समृद्ध है।

🔹 खनिज📍 क्षेत्र🛠️ उपयोग
डोलोमाइटकुशलगढ़, सज्जनगढ़इस्पात व सीमेंट उद्योग
चूना पत्थरघाटोल, लोहारियासीमेंट व निर्माण सामग्री
बॉक्साइटबामनिया, सज्जनगढ़एलुमिनियम उत्पादन
ग्रेफाइटचिचलिया, अमझेराबैटरी, लुब्रिकेंट
बेसाल्टआसपास की पहाड़ियाँसड़क निर्माण
फेल्सपारअन्नपुरा, भगोराकांच, चीनी मिट्टी

🌤️ जलवायु और वर्षा

  • जलवायु – उष्णकटिबंधीय

  • औसत वर्षा – 900–1000 मिमी प्रतिवर्ष

  • राजस्थान का सर्वाधिक वर्षा वाला जिला


👥 जनसंख्या और जनजातियाँ

  • 2011 जनगणना – 17.97 लाख

  • 2025 अनुमान – 20 लाख+

  • भील जनजाति – लगभग 75% आबादी


🎓 शिक्षा व साक्षरता

  • औसत साक्षरता दर – 56.33%

    • पुरुष – 67%

    • महिला – 45%

  • जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा में निरंतर सुधार हो रहा है


💃 संस्कृति, नृत्य व मेले

  • गवरी नृत्य और गवरी नाट्य – धार्मिक नाट्य परंपरा

  • होली उत्सव – जनजातीय संस्कृति के साथ अनोखा रंग

  • बेनश्वर मेला"आदिवासियों का कुंभ", लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं

  • जनजातीय जीवनशैली और रंगबिरंगे परिधान यहाँ की पहचान हैं


👤 बांसवाड़ा के प्रमुख व्यक्तित्व

👨‍🏫 नाम👏 योगदान
भीमा नायकमहान स्वतंत्रता सेनानी, जननायक
रत्नलाल शास्त्रीशिक्षा क्षेत्र में योगदान
मंगूदास महाराजसामाजिक सुधारक
अन्य जनजातीय नेतासमाज सेवा, राजनीति और जनकल्याण में सक्रिय

🏗️ योजनाएँ और विकास

  1. माही बजाज सागर परियोजना – बिजली व सिंचाई में ऐतिहासिक योगदान

  2. जनजातीय क्षेत्रीय विकास योजना – बांसवाड़ा को विशेष योजनाओं का लाभ

  3. बेनश्वर विकास योजना – धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा

  4. सहकारी दुग्ध उत्पादन योजना – पशुपालन व आदिवासी क्षेत्र में रोज़गार



✅ निष्कर्ष

बांसवाड़ा केवल राजस्थान का एक जिला नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति, अद्वितीय प्रकृति और जनजातीय चेतना का प्रतीक है।
यहाँ की झीलें, द्वीप, पर्वत, मंदिर, मेलों की रौनक और जननायकों की गाथाएँ – सब कुछ इसे एक अद्वितीय पर्यटन और सांस्कृतिक गंतव्य बनाते हैं।

बांसवाड़ा: राजस्थान का सौ द्वीपों वाला झीलों का नगर

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