प्रतापगढ़ - राजस्थान का सागवान वन और थेवा कला की धरती - Rajasthan Study

प्रतापगढ़ - राजस्थान का सागवान वन और थेवा कला की धरती

 

🌄 प्रतापगढ़  – राजस्थान का सागवान वन और थेवा कला की धरती

प्रतापगढ़, राजस्थान का(33वाँ) जिला, 26 जनवरी 2008 को अस्तित्व में आया। यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सागवान के घने जंगलों, हस्तशिल्प कला, और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ की कांठल घाटी, माही नदी, सीतामाता अभयारण्य, और थेवा कला इसे राजस्थान का एक अनोखा सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर क्षेत्र बनाते हैं।


📍 भौगोलिक स्थिति

  • देशांतर और अक्षांश: 24.03° N, 74.78° E

  • कुल क्षेत्रफल: लगभग 4,117 वर्ग किमी

  • ऊँचाई: 580 मीटर (राजस्थान में माउंट आबू के बाद दूसरा सबसे ऊँचा जिला)

  • सीमाएँ:

    • उत्तर: चित्तौड़गढ़

    • दक्षिण: मंदसौर (मध्यप्रदेश)

    • पूर्व: बांसवाड़ा, डूंगरपुर

    • पश्चिम: उदयपुर


📅 स्थापना व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • स्थापना: 26 जनवरी 2008 (CM वसुंधरा राजे द्वारा)

  • गठन में सम्मिलित तहसीलें:

    • चित्तौड़गढ़ से: प्रतापगढ़, अरणोद, छोटी सादड़ी

    • बांसवाड़ा से: पीपलखूँट

    • उदयपुर से: धरियावद

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • 800 वर्षों तक सिसोदिया वंश का शासन

  • राजकुमार सूरजमल (1514 ई.) ने देवगढ़ को राजधानी बनाया

  • महाराणा प्रतापसिंह (1699 ई.) द्वारा प्रतापगढ़ नगर की स्थापना

  • 1857 की क्रांति में राजा दलपत सिंह ने अंग्रेजों का विरोध किया

  • 1945 – प्रतापगढ़ प्रजामंडल की स्थापना (अमृतलाल पाठक द्वारा)


🧭 भौगोलिक विशेषताएँ

  • भू-आकृति: अरावली पर्वतमाला की उपश्रेणियाँ

  • वन क्षेत्र: सागवान (Teak) के घने जंगल

  • जलवायु: आर्द्र उष्णकटिबंधीय

  • औसत वर्षा: 900 सेमी प्रति वर्ष

  • मिट्टी: मुख्यतः काली मिट्टी (कपास और गेहूँ के लिए उपयुक्त)


🌊 प्रमुख नदियाँ व जलस्रोत

  1. माही नदी

    • "कांठल की गंगा" कहलाती है

    • दक्षिणी भाग को हरा-भरा बनाए रखती है

  2. जाखम नदी

    • भंवर माता की पहाड़ियों से निकलती है

    • जाखम बाँध (1962) – राजस्थान का सबसे ऊँचाई पर स्थित बाँध


🐅 वन्यजीव एवं अभयारण्य

सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य

  • विशेषताएँ:

    • राजस्थान का एकमात्र सागवान वन

    • उड़न गिलहरी का स्वर्ग

    • चीतल की मातृभूमि

    • लव-कुश कुंड – पौराणिक धार्मिक स्थल

  • प्रजातियाँ: उड़न गिलहरी, तेंदुआ, चीतल, जंगली बिल्ली, हिरण आदि

  • विविध जैव-विविधता: 9 प्रजातियों की फंस्स, दुर्लभ ऑर्किड पौधे


🛕 धार्मिक व सांस्कृतिक स्थल

🛕 स्थल📍 विवरण
कालिका माता मंदिर8वीं–9वीं शताब्दी में गुहिल वंश द्वारा निर्मित, ऊँचाई पर स्थित मंदिर
गौतमेश्वर महादेवअरणोद; "प्रतापगढ़ का हरिद्वार", मंदाकिनी कुंड, वैशाख पूर्णिमा पर मेला
काका जी की दरगाहबोहरा समुदाय का प्रमुख तीर्थ, "कांठल का ताजमहल"
शांतिनाथ तीर्थप्रतापगढ़ का प्रसिद्ध जैन तीर्थ

🏯 ऐतिहासिक दुर्ग व स्थापत्य

  • देवगढ़ किला – सूरजमल द्वारा निर्मित, समय बताने के लिए घड़ी यंत्र (धूपघड़ी)

  • जानागढ़ दुर्ग – सुहागपुरा पर्वत पर स्थित

  • छोटी सादड़ी – "स्वर्ण नगरी" के नाम से प्रसिद्ध


🌾 कृषि और खनिज

🧺 मुख्य फसलें:

  • गेहूँ

  • मक्का

  • कपास

  • तरल हींग

  • अफीम – राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन यहीं होता है

⛏️ खनिज संपदा:

  • हीरा खनन – केसरपुरा में

  • थेवा कला – सोने पर कांच की नक्काशी, जिसे जस्टिन वकी ने विश्वस्तरीय पहचान दिलाई


⚡ ऊर्जा व विकास

  • देवगढ़ पवन ऊर्जा परियोजना – 2001 में स्थापित

  • सिंचाई योजनाएँ – जाखम परियोजना

  • जनजातीय विकास योजनाएँ – विशेष वित्तीय व सामाजिक विकास हेतु

  • शिक्षा व स्वास्थ्य में सुधार हेतु सरकारी योजनाएँ


🎊 सांस्कृतिक विरासत

🔸 लोक मेले:

  • भँवर माता मेला – चैत्र व आश्विन नवरात्र में

  • दीपनाथ महादेव मेला – कार्तिक पूर्णिमा पर

🔸 थेवा कला:

  • सोने की परत पर काँच की नक्काशी

  • विवाह, धार्मिक अवसरों और संग्रहालयों में विशेष स्थान


👤 प्रमुख व्यक्तित्व

🙎‍♂️ नाम🔍 योगदान
अमृतलाल पाठकप्रतापगढ़ प्रजामंडल के संस्थापक
दलपत सिंह1857 के विद्रोह में अंग्रेजों का विरोध
जस्टिन वकीथेवा कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई

👨‍👩‍👧‍👦 जनसंख्या व साक्षरता (2025 अनुमान)

  • कुल जनसंख्या (2025): लगभग 9.5 लाख

  • जनसंख्या (2011): 8.68 लाख

  • लिंगानुपात: 982 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष

  • साक्षरता दर:

    • कुल: 56.3%

    • पुरुष: 68%

    • महिला: 44%

  • जनजातीय जनसंख्या: लगभग 65%, विशेषकर भील समुदाय


🚗 अन्य रोचक तथ्य

  • वाहन कोड: RJ-35

  • प्रथम जनगणना: 1881 ई. (रावत उदयसिंह के शासनकाल में)

  • ताम्रपत्र (1817): महारावल सांमतसिंह द्वारा ब्राह्मणों से टंकी कर हटाया गया

  • शुभंकर: उड़न गिलहरी

  • कांठल क्षेत्र – माही नदी के किनारे फैला हरा-भरा क्षेत्र, कृषि और जलस्रोतों का केंद्र


✅ निष्कर्ष

प्रतापगढ़ जिला, राजस्थान की गोद में बसा एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ प्राकृतिक विविधता, ऐतिहासिक विरासत, धार्मिक आस्था, और हस्तशिल्प कला का अद्वितीय संगम मिलता है।

प्रतापगढ़ - राजस्थान का सागवान वन और थेवा कला की धरती

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