राजसमंद जिला दर्शन: इतिहास, भूगोल, संस्कृति और पर्यटन की अनूठी धरती - Rajasthan Study

राजसमंद जिला दर्शन: इतिहास, भूगोल, संस्कृति और पर्यटन की अनूठी धरती

 

🏞️ राजसमंद जिला दर्शन: इतिहास, भूगोल, संस्कृति और पर्यटन की अनूठी धरती

राजसमंद, राजस्थान का वह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जिला है जो न केवल अपने सफेद संगमरमर, राजसमंद झील, और नाथद्वारा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह कुंभलगढ़ किले जैसी विश्व विरासत और मेवाड़ की वीरगाथाओं का प्रतीक भी है। आइए जानते हैं इस जिले के बारे में संपूर्ण जानकारी – इतिहास से लेकर आधुनिक पहचान तक




📍 भौगोलिक स्थिति व परिचय

  • अक्षांश-देशांश: 25.07°N, 73.88°E

  • कुल क्षेत्रफल: लगभग 4,768 वर्ग किमी

  • स्थापना: 10 अप्रैल 1991 को (राजस्थान का 30वां जिला)

  • सीमाएँ:

    • उत्तर: भीलवाड़ा

    • दक्षिण: उदयपुर

    • पूर्व: चित्तौड़गढ़

    • पश्चिम: पाली और अजमेर

यह जिला अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित है, जिसकी भौगोलिक आकृति तिल के समान मानी जाती है।


🏰 ऐतिहासिक विरासत

🛡️ कुंभलगढ़ किला

  • निर्माण: महाराणा कुंभा (1448–1458 ई.) द्वारा, शिल्पी मंडन की रचना

  • विशेषता:

    • 36 किमी लंबा परकोटा (दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार)

    • "मेवाड़ की आँख" व "मारवाड़ की छाती पर तलवार" कहा जाता है

    • UNESCO विश्व धरोहर स्थल

⚔️ प्रसिद्ध युद्ध

  • हल्दीघाटी युद्ध (1576): महाराणा प्रताप बनाम अकबर — “मेवाड़ की थर्मोपोली”

  • दिवेर युद्ध (1582): प्रताप की बहुप्रशंसित विजय

  • रूपनगढ़ का युद्ध (1858): तात्या टोपे बनाम अंग्रेज


🛕 प्रमुख धार्मिक स्थल

स्थलविशेषता
नाथद्वारा मंदिरश्रीनाथ जी की हवेली परंपरा, पिछवाई चित्रकला
चारभुजा (गढ़बोर)भगवान विष्णु का प्राचीन मंदिर
नीलकंठ महादेवकुंभलगढ़ में स्थित, सर्वतोभद्र शैली
आमजा माता (रीछेड़)आदिवासी समुदाय की आराध्य देवी

🌊 प्राकृतिक संपदा

प्रमुख नदियाँ:

  • बनास नदी – खमनोर की पहाड़ियों से उद्गम

  • कोठारी नदी – दिवेर क्षेत्र से निकलती है

झीलें:



  • राजसमंद झील (1662 ई.):

    • महाराणा राजसिंह द्वारा निर्मित

    • नौ चौकी पर राजप्रशस्ति — संस्कृत की सबसे लंबी प्रशस्ति

    • 25 शिलालेखों में मेवाड़ का इतिहास अंकित

  • मनोहर सागर बाँध: “राजसमंद की जीवन रेखा”

वन्यजीव अभयारण्य:

  • कुंभलगढ़ अभयारण्य (1971):

    • ढाक के वृक्ष, तेंदुआ, भालू, नीलगाय जैसे जीव

    • बर्ड वॉचिंग और इको-ट्रेल के लिए प्रसिद्ध


🎭 सांस्कृतिक धरोहर

🎉 प्रमुख मेले और त्यौहार:

  • गुलाबी गणगौर: चैत्र शुक्ल चतुर्थी, पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएँ भाग लेती हैं

  • चेतक मेला (हल्दीघाटी): वीर चेतक की स्मृति में, घोड़ों की प्रदर्शनी

🎨 पारंपरिक कला:

  • मोलेला टेराकोटा कला: पक्की मिट्टी की मूर्तियाँ और पट्ट

  • थेवा कला (प्रतापगढ़): सोने पर कांच की नक्काशी


🏗️ आर्थिक गतिविधियाँ

क्षेत्रविवरण
खनिजसफेद संगमरमर, डोलोमाइट, ग्रेनाइट
कृषिगेहूँ, मक्का, सरसों, चना
औद्योगिक क्षेत्रमार्बल इंडस्ट्री, स्मॉल स्केल उद्योग, टाइल्स निर्माण
पर्यटननाथद्वारा, कुंभलगढ़, हल्दीघाटी जैसे आकर्षण केंद्र

🏛️ प्रमुख स्मारक व स्थल

  • दिवेर विजय स्मारक: 2012 में राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन

  • पन्ना धाय पैनोरमा (कमेरी): त्याग और बलिदान की अमर गाथा

  • चेतक की छतरी (बलीचा): वीर चेतक का स्मृति स्थल

  • राजप्रशस्ति शिलालेख: ऐतिहासिक दस्तावेजों का संग्रह


📌 अन्य रोचक तथ्य

  • दक्षिणी अरावली क्षेत्र: कुंभलगढ़ (1224 मी), कुकरा की पहाड़ी

  • दर्रे: कामली घाट, हाथीगुड़ा

  • प्रेरणादायक ग्राम: कचबाली – शराब मुक्त पंचायत

  • पुस्तकें व शिलालेख: घोसुंडी व मानमौरी शिलालेख (वैष्णव परंपरा के साक्ष्य)


✅ निष्कर्ष



राजसमंद जिला राजस्थान का वह रत्न है जहाँ इतिहास, संस्कृति, धर्म, पर्यटन और खनिज सभी का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
कुंभलगढ़ किला, नाथद्वारा, राजसमंद झील, और मोलेला की कला – ये सब मिलकर इस जिले को एक ऐसा गंतव्य बनाते हैं, जो शिक्षा, पर्यटन, शोध और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।



राजसमंद जिला दर्शन: इतिहास, भूगोल, संस्कृति और पर्यटन की अनूठी धरती

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