सवाई माधोपुर जिला दर्शन: इतिहास, जनसंख्या, शिक्षा और पर्यटन का समृद्ध केंद्र
सवाई माधोपुर जिला राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित है, जो अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत, वन्यजीव अभयारण्यों और सांस्कृतिक स्थलों के लिए जाना जाता है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, रणथंभौर किला और कई धार्मिक स्थल इस जिले के प्रमुख आकर्षण हैं। यह जिला पर्यटन, शिक्षा और आर्थिक गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस ब्लॉग में हम सवाई माधोपुर जिले की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, शिक्षा, आर्थिक गतिविधियां और पर्यटन स्थलों का विस्तृत परिचय देंगे।
सवाई माधोपुर जिले का संपूर्ण विवरण
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| अक्षांश-देशांतर | 26.02° N, 76.34° E |
| क्षेत्रफल | लगभग 10,527 वर्ग किलोमीटर |
| जनसंख्या | 13,34,066 (2011 की जनगणना के अनुसार) |
| लिंगानुपात | 894 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष |
| साक्षरता दर | कुल 66.19%, पुरुष 80.44%, महिला 50.93% |
| स्थापना | 1763 में सवाई माधोसिंह प्रथम द्वारा |
| जलवायु | गर्मी में 45°C तक, सर्दी में 5°C तक |
भौगोलिक स्थिति
सवाई माधोपुर जिला राजस्थान के पूर्वी मैदानी प्रदेश में अरावली पर्वत और चंबल नदी के मैदानों के बीच स्थित है। इसकी सीमाएँ दौसा, करौली, कोटा, बूंदी और टोंक जिलों से लगती हैं। यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, जिसमें गर्मियों में अत्यधिक गर्मी और सर्दियों में ठंडक होती है।
ऐतिहासिक विरासत
चौहान वंश का शासन
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1194 में गोविंदराज चौहान ने रणथंभौर में चौहान वंश की स्थापना की।
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हम्मीरदेव चौहान ने 1290 में जलालुद्दीन खिलजी को पराजित किया।
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1301 में अलाउद्दीन खिलजी के विरुद्ध रणथंभौर का युद्ध हुआ, जिसमें जल जौहर की घटना घटी।
प्रमुख किले
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रणथंभौर किला: 994 ईस्वी में रणथम्मन देव द्वारा निर्मित, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।
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झाइन का किला: रणथंभौर की “कुंजी” कहा जाता है।
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सिवाड़ का किला: घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट स्थित।
प्राकृतिक संपदा
राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य
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रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान: 1955 में अभयारण्य और 1973 में भारत की पहली टाइगर परियोजना।
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सवाई मानसिंह अभयारण्य: चीतल और सांभर के लिए प्रसिद्ध।
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चंबल घड़ियाल अभयारण्य: लुप्तप्राय घड़ियालों का संरक्षण।
नदियाँ एवं जलाशय
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चंबल नदी पर त्रिवेणी संगम (चंबल, बनास, सीप)।
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ईसरदा बांध और मोरेल नदी का मिट्टी का बड़ा बांध।
जनसंख्या एवं शिक्षा
जनसंख्या तथ्य
सवाई माधोपुर जिले की कुल जनसंख्या लगभग 13.3 लाख है। जिले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या थोड़ी कम है, जिसका लिंगानुपात 894 है।
शिक्षा
साक्षरता दर कुल 66.19% है, जिसमें पुरुष साक्षरता 80.44% जबकि महिला साक्षरता 50.93% है। जिले में शिक्षा का स्तर निरंतर बढ़ रहा है, और कई सरकारी तथा निजी विद्यालय शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हैं। महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थल
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घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक।
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काला-गोरा भैरव मंदिर: तंत्र विद्या का प्रमुख केंद्र।
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हिचकी माता मंदिर: मन्नत पूरी होने पर हिचकी आने की परंपरा।
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चौथ का बरवाड़ा मेला: माघ कृष्ण तृतीया से अष्टमी तक आयोजित।
कला एवं शिल्प
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बांसटोरड़ा: संगमरमर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध।
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श्यामोता गाँव: मिट्टी के खिलौने और बर्तन बनाने के लिए जाना जाता है।
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हेला ख्याल: लोक नाट्य शैली का प्रमुख केंद्र।
आर्थिक महत्व
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खनिज संसाधन: चौथ का बरवाड़ा में सीसा-जस्ता के भंडार।
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कृषि: अमरूद की खेती के लिए प्रसिद्ध, जिसे "अमरूदों की नगरी" कहा जाता है।
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पर्यटन: रणथंभौर वन्यजीव पर्यटन जिले की आर्थिक रीढ़ है।
अन्य तथ्य
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कुकराज घाटी: कुत्ते की छतरी के लिए प्रसिद्ध।
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कोल माहौली: महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल।
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हीरामन का मेला: स्थानीय पशु मेला।
निष्कर्ष
सवाई माधोपुर जिला राजस्थान का एक ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और किला इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं। इसके साथ ही, जनसंख्या और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति इसे एक उभरता हुआ जिला बनाती है।