टोंक जिला: ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक दृष्टि से समृद्ध जिला | - Rajasthan Study

टोंक जिला: ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक दृष्टि से समृद्ध जिला |

 

टोंक जिला: ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक दृष्टि से समृद्ध जिला | Tonk District 



राजस्थान के हृदयस्थल में स्थित टोंक जिला अपने अद्भुत इतिहास, समृद्ध संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के लिए जाना जाता है। इसे "नवाबों की नगरी" और "राजस्थान का लखनऊ" भी कहा जाता है, जो इसकी नवाबी स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस ब्लॉग में हम टोंक जिले का विस्तृत परिचय, भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या आंकड़े, शिक्षा का स्तर, आर्थिक गतिविधियां और महत्वपूर्ण स्थल विस्तार से जानेंगे।


टोंक जिले का संपूर्ण विवरण

विशेषताविवरण
अक्षांश-देशांतर26.17° N, 75.78° E
क्षेत्रफललगभग 7,194 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या1,421,326 (2011 की जनगणना के अनुसार)
लिंगानुपात952 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
साक्षरता दरकुल 61.58%, पुरुष 77.12%, महिला 45.45%
शहरी आबादीलगभग 22.35%
ग्रामीण आबादीलगभग 77.65%
स्थापना1817 ईस्वी में अमीर खान पिंडारी द्वारा
जलवायुगर्मी में 45°C तक, सर्दी में 5°C तक

भौगोलिक स्थिति

टोंक जिला राजस्थान के पूर्वी भाग में अरावली पर्वतमाला के पास स्थित है। यहाँ का भूभाग मुख्य रूप से मैदानी है, जिसमें घने खेत, नदियाँ और पर्वतीय झलक मिलती है। जिले की सीमाएँ जयपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, सवाई माधोपुर और अजमेर जिलों से लगी हैं। प्रमुख नदी बनास नदी है, जो जिले की कृषि जीवनधारा है।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

टोंक रियासत की स्थापना अमीर खाँ पिंडारी ने 1817 में की थी। यह रियासत राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत थी, जिसने अपने समय में अनेक ऐतिहासिक घटनाओं और नवाबी स्थापत्य कला का विकास किया। टोंक की नवाबी संस्कृति आज भी यहां की पहचान बनी हुई है।


जनसंख्या एवं शिक्षा

टोंक की कुल जनसंख्या लगभग 14.2 लाख है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा करीब 78% है। जिले में शिक्षा का स्तर दिन-प्रतिदिन बेहतर हो रहा है, लेकिन अभी भी महिला साक्षरता दर पुरुषों की तुलना में कम है। सरकारी और निजी स्कूलों की संख्या बढ़ रही है और शिक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • कुल साक्षरता दर 61.58% है।

  • पुरुष साक्षरता दर 77.12% है, जबकि महिला साक्षरता दर 45.45% है।

  • शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए कई सरकारी और निजी प्रयास जारी हैं।


शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्थान

  • कसरेइल्म (अरबी-फारसी शोध संस्थान)

  • वनस्थली विद्यापीठ (महिला शिक्षा केंद्र)

  • केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान (अविकानगर)

टोंक शिक्षा और संस्कृति का केन्द्र रहा है। यहाँ महिला शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है, जिससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है।


प्रमुख पर्यटन स्थल और ऐतिहासिक स्मारक

  • अमीरगढ़ किला: ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व का स्थल।

  • सुनहरी कोठी: नवाबी स्थापत्य कला का उदाहरण।

  • ककोड़ का किला: गगनचुंबी पहाड़ियों पर स्थित।

  • गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर: धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र।

  • माण्डकला गाँव: मिनी पुष्कर के नाम से प्रसिद्ध।


आर्थिक गतिविधियाँ

टोंक की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि, कुटीर उद्योग और नमदा उद्योग पर आधारित है। यहाँ की मिर्च मंडी और मीठे खरबूजे देशभर में प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा बीड़ी उद्योग भी यहाँ की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है।


सांस्कृतिक विरासत

टोंक की संस्कृति में नवाबी प्रभाव स्पष्ट दिखता है। यहाँ के लोक नृत्य, संगीत, मेले और लोक कला जिले की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। प्रमुख मेले जैसे पुलानी मेला, दड़ा महोत्सव आदि जिले की सांस्कृतिक पहचान हैं।


प्रमुख व्यक्तित्व

  • दामोदर लाल व्यास – राजस्थान के लौह पुरुष के नाम से प्रसिद्ध।

  • कर्पूर चन्द कुलिश – राजस्थान पत्रिका के संस्थापक।


निष्कर्ष



टोंक जिला न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि शिक्षा और जनसंख्या के मामले में भी विकासशील है। नवाबी स्थापत्य, समृद्ध लोक संस्कृति, और शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार इसे राजस्थान के प्रमुख जिलों में स्थान दिलाते हैं।



टोंक जिला: ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक दृष्टि से समृद्ध जिला |

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