🏰 बूंदी जिला दर्शन – बावड़ियों की नगरी का गौरवशाली इतिहास और विरासत
बूंदी जिला राजस्थान की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों से भरपूर है। जानिए बावड़ियों के इस शहर की पूरी जानकारी – पर्यटन, इतिहास, प्रशासन, उद्योग, और बहुत कुछ।
📖 परिचय – बूँदी की पहचान
राजस्थान का बूँदी जिला, जिसे “बावड़ियों का शहर” और “राजस्थान की काशी” कहा जाता है, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, अनूठी चित्रशैली, प्राचीन किलों, और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह जिला हाड़ौती क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत समृद्ध है।
🗺️ भौगोलिक स्थिति
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अक्षांश-देशांतर: 25.4305° N, 75.6499° E
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क्षेत्रफल: लगभग 5,550 वर्ग किमी
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सीमाएँ:
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उत्तर: टोंक
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दक्षिण: कोटा
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पूर्व: सवाई माधोपुर
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पश्चिम: भीलवाड़ा
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जलवायु:
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गर्मियों में तापमान: ~45°C
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सर्दियों में: ~5°C
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भूभाग: अरावली पर्वतमाला से घिरा, घने जंगल और पहाड़ियाँ
🏛️ प्रशासनिक जानकारी
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राष्ट्रीय राजमार्ग: NH-27, NH-52, NH-148D
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प्रमुख नदियाँ: चंबल, मांगली, मेज, कुराल, घोड़ा पछाड़
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शुभंकर (Mascot): सुर्खाब
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उपनाम: राजस्थान की काशी, वृन्दावती, बावड़ियों का शहर
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भौगोलिक क्षेत्र: हाड़ौती पठार
🏰 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
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हाड़ा वंश की स्थापना: 1240 ई. में देवा हाड़ा द्वारा
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प्रमुख शासक:
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राव सुर्जन हाड़ा: अकबर के साथ संधि (1569)
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राव रतनसिंह: जहांगीर द्वारा “रामराय” की उपाधि
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राव बुद्धसिंह हाड़ा: जिनकी रानी अमर कुंवरी ने मल्हार राव होल्कर को राखी भेजी
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प्रजामंडल आंदोलन: 1931 में कांतिलाल द्वारा बूंदी प्रजामंडल की स्थापना
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मराठा प्रभाव: बूंदी में मराठों का प्रवेश
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एकीकरण: 25 मार्च 1948 को राजस्थान संघ में शामिल
🎨 सांस्कृतिक एवं कलात्मक विरासत
🎨 बूंदी चित्रशैली:
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भारत की प्रसिद्ध भित्तिचित्र परंपरा, जिसमें पशु-पक्षियों, राजाओं और पौराणिक कथाओं का चित्रण
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“भित्ति चित्रों का स्वर्ग” कहा जाता है
✍️ साहित्यिक परंपरा:
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सूर्यमल्ल मिश्रण: ‘वंश भास्कर’ के लेखक, जिन्हें राजस्थान का वेदव्यास कहा जाता है
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मेहता लज्जाराम: “सर्वहित” पत्र के संपादक – राजस्थान का पहला साहित्यिक प्रकाशन
🏞️ प्रमुख पर्यटन स्थल
🏯 तारागढ़ दुर्ग (1354 ई.):
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बरसिंह हाड़ा द्वारा निर्मित
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गर्भगुंजन तोप, चित्रशाला, अनिरुद्ध महल, और राजकीय संग्रहालय
💧 रानी जी की बावड़ी (1699 ई.):
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राजस्थान की सबसे भव्य बावड़ी
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2017 में भारत सरकार द्वारा डाक टिकट जारी
🪑 84 खंभों की छतरी (1683 ई.):
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अनिरुद्ध द्वारा पत्नी धाबाई की स्मृति में निर्मित
🏰 सुखमहल:
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जैतसागर झील के किनारे, विष्णु सिंह द्वारा निर्मित
🐯 रामगढ़ विषधारी अभयारण्य:
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राजस्थान का चौथा टाइगर रिजर्व
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“बाघों का जच्चा घर” कहा जाता है
🏭 औद्योगिक एवं आर्थिक महत्व
🧱 खनिज संसाधन:
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बारोदिया: राजस्थान का सबसे बड़ा सिलिका रेत उत्पादन क्षेत्र
🏭 उद्योग:
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लाखेरी: राजस्थान का पहला सीमेंट कारखाना (1915)
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केशोरायपाटन: राज्य की पहली सहकारी शुगर मिल (1965)
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खेरूणा गाँव: जींस मैन्युफैक्चरिंग पार्क
🌾 कृषि:
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बूंदी जिले में फल और सब्ज़ी उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना
⚖️ प्रमुख घटनाएँ एवं तथ्य
💥 डाबी हत्याकांड (2 अप्रैल 1923):
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ब्रिटिश शासन के दौरान किसान सम्मेलन में गोलीबारी
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नानकजी भील और देवालाल गुर्जर शहीद हुए
🪙 सिक्के:
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रामशाही एवं चेहरेशाही सिक्कों का प्रचलन
🛕 धार्मिक एवं प्राकृतिक स्थल
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बांसी दुगारी: तेजाजी महाराज का प्रमुख तीर्थ स्थल
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भीमलत जल प्रपात: मांगली नदी पर स्थित सुंदर झरना
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वरध बाँध: प्राकृतिक सौंदर्य के कारण इसे “हाड़ौती का गोवा” कहा जाता है
🧾 निष्कर्ष
बूंदी न सिर्फ राजस्थान का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक खजाना है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य, लोककला और वास्तुकला का अद्भुत संगम भी है। यहाँ की बावड़ियाँ, दुर्ग, चित्रशालाएं और साहित्यिक धरोहरें इसे एक अनमोल पर्यटन स्थल बनाती हैं।