✍️ केसरीसिंह बारहठ – डिंगल कवि और क्रांति के योद्धा
🔰 परिचय:
1872 में देवखेड़ा (भीलवाड़ा) में जन्मे केसरीसिंह बारहठ को राजस्थान के "डिंगल काव्य का अमर योद्धा" और "राजस्थान केसरी" कहा जाता है।
🪶 उनके क्रांतिकारी कदम:
-
1903: दिल्ली दरबार में फतेहसिंह को चेतावनी छंद("चेतावनी रा चुघटिया ")
-
1910: वीर भारत सभा की स्थापना
-
जोधपुर के महन्त की हत्या के आरोप में 20 साल की सज़ा, हजारीबाग जेल
📖 रचनाएँ:
-
प्रताप चरित्र, राजसिंह चरित्र, दुर्गादास चरित्र, रूठी रानी
-
कवि, संत और क्रांतिकारी का अनूठा संगम
🧘♂️ उपाधियाँ:
-
योगीश्वर
-
राजस्थान केसरी
बलिदान:
अंग्रेज उनकी गतिविधियों से भयभीत थे। 23 जून 1941 को उनका देहांत हुआ, लेकिन तब तक वे स्वतंत्रता संग्राम की मशाल को तेज कर चुके थे।
विरासत :
राजस्थान के स्वतंत्रता आंदोलन में बारहठ परिवार (केशरी सिंह, प्रताप सिंह और चुन्नीलाल) का योगदान अमूल्य माना जाता है।
✨ निष्कर्ष:
केसरीसिंह बारहठ ने अपनी कविता को हथियार बनाया। उनके छंदों ने राजाओं को भी चेताया और जनता को भी जगाया।
Links:-
