देव नगरी दौसा जिला दर्शन - Rajasthan Study

देव नगरी दौसा जिला दर्शन

 

देव नगरी दौसा जिला दर्शन | Dausa District 



राजस्थान का दौसा जिला अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता के चलते “देव नगरी” के नाम से प्रसिद्ध है। मेहंदीपुर बालाजी, नीलकंठ महादेव जैसे मंदिर, प्राचीन बावड़ियाँ, दुर्ग‑किले और लोक परंपराएँ यहाँ की पहचान हैं। इस लेख में हम दौसा जिले की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या‑शिक्षा आंकड़े, इतिहास, पर्यटन और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी देंगे।




📍 दौसा जिले का संपूर्ण विवरण

विशेषताविवरण
अक्षांश‑देशांतर26.89° N, 76.33° E
कुल क्षेत्रफललगभग 3,432 वर्ग किलोमीटर (2011 की जनगणना के अनुसार) 
स्थापना / जिला दर्जा10 अप्रैल 1991 को बनाया गया, राजस्थान का 29वाँ जिला 
भूभाग एवं सीमाएँअरावली की पर्वत श्रृंखला, पूर्वी मैदानी भाग; सीमाएँ अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर और जयपुर जिलों से।

👥 जनसंख्या एवं साक्षरता दर

निम्न आंकड़े 2011 की जनगणना के आधार पर हैं:

घटकविवरण
कुल जनसंख्या1,634,409 लोग 
पुरुष857,787 
महिला776,622 
लिंगानुपात (Sex Ratio)905 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष 
बाल आबादी (0‑6 वर्ष)258,144 (लगभग 15.8%) 
औसत साक्षरता दर68.16% 
पुरुष साक्षरता82.98% 
महिला साक्षरता51.93% 
शहरी आबादी (%)लगभग 12.35% 
ग्रामीण आबादी (%)लगभग 87.65% 

🏛 प्रशासनिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • दौसा जिला अपनी स्थापना 1991 में हुआ; ऐतिहासिक रूप से यह ढूंढाड़ क्षेत्र का हिस्सा रहा है। 

  • शुभंकर: खरगोश (यह प्रतीकात्मक है)

  • ऐतिहासिक महत्व: कच्छवाह वंश, प्राचीन राजघरानों और स्थान‑स्थान पर बने स्मारक एवं बावड़ियाँ।


🛕 प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थल



  • मेहंदीपुर बालाजी मंदिर – दौसा‑जयपुर मार्ग पर प्रसिद्ध मंदिर।

  • नीलकंठ महादेव मंदिर – प्राकृतिक सुंदरता और पर्वत‑घना क्षेत्र।

  • चाँद बावड़ी (आभनेरी) – प्राचीन बावड़ी, वास्तुकला और इतिहास की झलक।

  • दौसा किला / माधोराजपुरा किला – पहाड़ी पर स्थित दुर्ग जो पुराने समय की रक्षा प्रणाली दर्शाता है।


🌾 आर्थिक एवं प्राकृतिक संसाधन

  • कृषि, सीमित पशुपालन तथा स्थानीय उद्योगों की भूमिका।

  • खनिजों का कुछ उत्पादन; विशिष्ट आर्थिक संसाधन जैसे लौह अयस्क या यूरेनियम की जानकारी कुछ स्रोतों में मिलती है, पर सावधानी से जांच की आवश्यकता है।

  • जल संरचनाएँ, बावड़ियाँ और नदियाँ जिनका उपयोग सिंचाई और स्थानीय जलावस्था के लिए किया जाता है।


🎨 सांस्कृति विरासत

  • लोक नृत्य, लोक नाट्य जैसे बंजारों की छत्तरियाँ, हेला‑ख्याल, घुटकन नृत्य आदि पारंपरिक कलाएँ प्रचलित हैं।

  • मेले‑त्योहार: आभनेरी महोत्सव, पीपलाज माता मेला, बिजासनी माता मेला आदि स्थानीय सामाजिक उत्सव हैं।


🎯 अन्य विशेष तथ्य

  • दौसा की कुच्छवाह वंश की विरासत; जिले में बने बावड़ियाँ, किले व दुर्ग।

  • जनसंख्या में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की हिस्सेदारी महत्वपूर्ण है।

  • शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ है, लेकिन महिला साक्षरता अभी भी पुरुषों से पीछे है।


✅ निष्कर्ष

दौसा जिला इतिहास, धर्म एवं संस्कृति का समृद्ध मिश्रण है। जनसंख्या एवं शिक्षा दर (साक्षरता) दिखाती है कि जिले में विकास की दिशा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों, महिला शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर को और सुदृढ़ किया जाना चाहिए। स्थानीय पर्यटन, धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बदौलत दौसा पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान अबाधित रखे हुए है।


देव नगरी दौसा जिला दर्शन

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