जालोर जिला दर्शन – गुर्जर प्रतिहारों की धरा - Rajasthan Study

जालोर जिला दर्शन – गुर्जर प्रतिहारों की धरा

 

 जालोर जिला दर्शन – गुर्जर प्रतिहारों की धरा



📍 परिचय और भौगोलिक स्थिति

जालोर जिला राजस्थान के दक्षिण‑पश्चिमी भाग में स्थित है। यह गुर्जर प्रतिहारों के ऐतिहासिक शासन, सुंधा माता मंदिर, जालोर किला, और यहां की ग्रेनाइट उद्योग व मिर्च उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

  • अक्षांश‑देशांतर: 25.34° N, 72.62° E

  • कुल क्षेत्रफल: लगभग 10,640 वर्ग कि॰मी॰

  • सीमाएँ:
      उत्तर: पाली जिला
      दक्षिण: सिरोही जिला व गुजरात राज्य
      पूर्व: जोधपुर जिला
      पश्चिम: बाड़मेर जिला

  • जलवायु:
      गर्मी में तापमान 45°C तक पहुँच सकता है; सर्दियों में 5°C तक गिरावट होती है।

  • भूभाग:
      अधिकतर शुष्क, रेतीला और समतली; कुछ हिस्से अरावली पर्वतमाला से जुड़े पहाड़ों से घिरे हैं। सुंधा पर्वत यहाँ की प्रमुख पर्वत श्रृंखला है।


🛡️ इतिहास एवं पृष्ठभूमि

  • प्राचीन नाम: जाबालिपुर, सुवर्ण नगरी

  • उपनाम: ग्रेनाइट सिटी — गुलाबी और पीले ग्रेनाइट की उपलब्धता के कारण

  • स्थापना: चौहान वंश‑केर्तिपाल ने 1181 ई. में इस क्षेत्र की सत्ता स्थापित की; बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने 1311 में आक्रमण कर “जलालाबाद” कहा गया


🔍 जनसंख्या व साक्षरता (Census 2011 के आंकड़े सहित)

  • कुल जनसंख्या (2011): लगभग 18,28,730 व्यक्ति 

  • लाक्ष्य अनुमान 2025: लगभग 21‑22 लाख 

  • घनत्व: ~ 172 व्यक्ति/वर्ग किमी 

  • लिंग अनुपात: लगभग 952 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष 

  • साक्षरता दर: कुल ~ 54.86%, पुरुष ~ 70.67%, महिला ~ 38.47% 

  • शहरी साक्षरता: ~ 71.08%, ग्रामीण में ~ 53.34% 


🗺️ प्रमुख स्थल, संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरें

🔍 मुख्य ऐतिहासिक स्थल

  • जालोर दुर्ग (सुवर्णगिरी / सोनल गढ़) – प्राचीन किला, जिसका इतिहास प्रतिहारों और अन्य राजवंशों से जुड़ा है।

  • सुंधा माता मंदिर – प्रसिद्ध देवी मंदिर और रोप‑वे सुविधा के लिए जाना जाता है।

  • धार्मिक स्थल: आशापुरी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, लक्ष्मी वल्लभ जैन मंदिर आदि।

🐾 वन्यजीव और पर्यावरण

  • भालू अभयारण्य (सुंधा माता क्षेत्र) – भालुओं के संरक्षण के लिए विशेष महत्व।

  • अन्य पर्यावरणीय स्थल, जैसे पहाड़ों और पठारों की प्राकृतिक सुंदरता।

🎨 संस्कृति

  • लोकनृत्य और मेल‑त्योहार: होली‑के बाद का ‘भाटा गैर’, मिर्ची‑मेला आदि।

  • हस्तशिल्प: ग्रेनाइट की खानों के साथ पत्थर की नक्काशी, भीनमाल की पारंपरिक कला आदि।


⚙️ अर्थव्यवस्था

  • ग्रेनाइट उद्योग: जिले का विशाल उद्योग; गुलाबी और पीले ग्रेनाइट के ब्लॉकों व स्लैब्स का उत्पादन बड़े पैमाने पर।

  • कृषि: मिर्च, जीरा, टमाटर, ईसबगोल आदि प्रमुख फसलें।

  • हस्तशिल्प और स्थानीय उद्योग: चमड़े के जूते (मोजड़ी), खेस बुनाई आदि।


✅ निष्कर्ष

जालोर जिला सिर्फ एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान नहीं है, बल्कि संस्कृति, जीवनशैली, और आर्थिक विविधता की मिसाल है। जनसंख्या चुनौतियाँ, साक्षरता में लिंग अन्तर, परंतु प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर यहाँ की पहचान हैं।

अगर आप राजस्थान की गहराई से जानकारी चाहते हो, तो जालोर की यात्रा एक अमूल्य अनुभव हो सकती है — इतिहास को छूने, प्रकृति को महसूस करने और लोकसंस्कृति से जुड़ने का अवसर।

जालोर जिला दर्शन – गुर्जर प्रतिहारों की धरा

राजस्थान की संपूर्ण जानकारी का भंडार