धौलपुर की पाताल तोड़ बावड़ी: ऐतिहासिक धरोहर पर संकट - Rajasthan Study

धौलपुर की पाताल तोड़ बावड़ी: ऐतिहासिक धरोहर पर संकट

 

धौलपुर की पाताल तोड़ बावड़ी: ऐतिहासिक धरोहर पर संकट


पाताल तोड़ बावड़ी धौलपुर

धौलपुर, राजस्थान — धौलपुर जिले की ऐतिहासिक पाताल तोड़ बावड़ी, जो अपनी स्थापत्य कला और बहुमंज़िला संरचना के लिए प्रसिद्ध है, आज गंभीर संकट का सामना कर रही है। यह बावड़ी, जिसे धौलपुर रियासत के काल में बनाया गया था, न केवल जल संरक्षण का महत्व रखती है बल्कि स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी अनमोल है।


ऐतिहासिक महत्व

पाताल तोड़ बावड़ी सात मंज़िलों की संरचना के साथ बनी है,जिसका निर्माण धौलपुर के राजा निहाल सिंह ने 19 वीं शताब्दी में करवाया था!

जिसमें चार मंज़िलें जमीन के नीचे और तीन ऊपर हैं। इसकी बनावट इतनी सटीक है कि पत्थरों के बीच किसी भी अतिरिक्त सामग्री की आवश्यकता नहीं पड़ी। बावड़ी के 16 दरवाजे हैं, जो समय के साथ भी अपनी स्थायित्व और सौंदर्य बनाए रखते हैं। इसे मूलतः शहर और महल की जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनवाया गया था।


स्थापत्य विशेषज्ञ इसे राजस्थान की मध्यकालीन वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण मानते हैं। बावड़ी की तकनीकी विशेषताएँ और बहुमंज़िला डिजाइन इसे भारतीय जलविज्ञान और इंजीनियरिंग की एक महत्वपूर्ण धरोहर बनाती हैं।


मौजूदा संकट

हालांकि यह स्थल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में यह कई समस्याओं का सामना कर रहा है:


1. संरक्षण की कमी

बावड़ी की नियमित देखभाल नहीं हो पा रही है। संरचना में मरम्मत और सफाई का अभाव इसे क्षति के जोखिम में डाल रहा है।



2. जलभराव और अस्वच्छता

वर्षा के दौरान बावड़ी में जल स्तर बढ़ जाता है, जिससे संरचना पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा, आसपास कचरा और अव्यवस्था के कारण बावड़ी की स्थिति और बिगड़ रही है।



3. अतिक्रमण का खतरा

पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास अवैध निर्माण और अतिक्रमण का खतरा बना रहता है। इससे न केवल स्थल का सौंदर्य प्रभावित होता है बल्कि संरचना की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है।

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